हरेली तिहार 2025: छत्तीसगढ़ का सबसे हराभरा त्योहार, जानिए तारीख, इतिहास, महत्व और सरकार की तैयारियाँ


छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ हर मौसम, हर त्यौहार और हर परंपरा का गहरा जुड़ाव प्रकृति, खेती और लोक संस्कृति से होता है। इन्हीं में से एक खास और पारंपरिक पर्व है हरेली तिहार, जिसे खेती-बाड़ी से जुड़ी श्रद्धा, हरियाली और परंपराओं के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

हरेली तिहार हर साल सावन महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में हरेली तिहार 27 जुलाई (रविवार) को मनाया जाएगा। यह पर्व खासतौर पर किसानों, ग्रामीणों और छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जुड़े लोगों का त्योहार है।

हरेली तिहार का इतिहास और परंपरा

‘हरेली’ शब्द ‘हरियाली’ से निकला है, जिसका मतलब है – हरापन, प्राकृतिक समृद्धि और जीवन में उल्लास। इस दिन गांवों में किसान अपने खेतों के औजारों को साफ करके उनकी पूजा करते हैं। यह दिन खेती की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जब धरती हरियाली से ढक जाती है और वर्षा ऋतु का प्रभाव दिखने लगता है।

पुराने जमाने में जब मशीनें नहीं थीं, तब हल, कुदाली, फावड़ा, बैल, बैलगाड़ी आदि किसान के सबसे बड़े सहायक हुआ करते थे। किसान इन्हीं औजारों और पशुओं की पूजा करके उन्हें धन्यवाद देते थे। आज भी यह परंपरा पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।

हरेली तिहार कैसे मनाया जाता है?

हरेली तिहार ग्रामीण इलाकों में बहुत ही उत्साह और परंपरा के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की खास परंपराओं को:

  • औजारों की पूजा: किसान अपने खेती के औजारों जैसे हल, फावड़ा, कुदाली आदि को साफ करते हैं, उन पर तेल-हल्दी लगाकर पूजा करते हैं।
  • गायों की सजावट: इस दिन पशुधन की भी विशेष पूजा होती है। खासतौर पर गायों को नहलाकर उन्हें सजाया जाता है और उनके सींगों पर रंग लगाए जाते हैं।
  • नीम झूले की परंपरा: नीम की लकड़ी से झूला बनाया जाता है, जिस पर बच्चे झूलते हैं। नीम को शुद्धता और सेहत से जोड़कर देखा जाता है।
  • गेड़ी चढ़ना: इस दिन बच्चे और युवा गेड़ी पर चढ़कर गांवों में घूमा करते हैं। ये लकड़ी की लंबी-पतली पाँव पर बाँधी जाने वाली डंडी होती है, जिससे चलने में मजा भी आता है और संतुलन का अभ्यास भी होता है।
  • लोक गीत और नृत्य: गांवों में लोक गीत, ढोलक, मांदर और नगाड़ों के साथ सामूहिक नृत्य का आयोजन किया जाता है।

छत्तीसगढ़ सरकार की तैयारी

हर वर्ष की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़ सरकार ने हरेली तिहार को भव्य रूप में मनाने की योजना बनाई है। राज्य के हर जिले में कृषि महोत्सव, लोक नृत्य प्रतियोगिता, गेड़ी दौड़, लोकगीत कार्यक्रम, पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिता जैसे आयोजन होंगे।

मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों द्वारा भी इस दिन सरकारी कार्यक्रमों में भाग लिया जाता है। पंचायत स्तर पर भी आयोजन होते हैं और स्कूली बच्चों के बीच पारंपरिक खेल जैसे रस्साकशी, कबड्डी और बाँस दौड़ आयोजित किए जाते हैं।

हरेली तिहार और पर्यावरण का संबंध

हरेली सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि प्राकृतिक संरक्षण का संदेशवृक्षारोपण

इस मौके पर सरकार भी ‘हरियर छत्तीसगढ़ अभियान’ जैसी योजनाओं को बढ़ावा देती है। पर्यावरण की सुरक्षा और संवर्धन को लेकर जनजागरूकता रैलियाँ भी निकाली जाती हैं।

हरेली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश और ओडिशा के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भी हरेली तिहार मनाया जाता है।
  • हरेली के दिन झाड़-फूंक की मान्यताएँ भी प्रचलित हैं।
  • यह त्योहार मुख्यतः किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण समुदायों से जुड़ा है।
  • छत्तीसगढ़ में हरेली को लेकर कई लोकगीत भी प्रचलित हैं, जो पीढ़ियों से गाए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में सरकारी अवकाश

छत्तीसगढ़ सरकार हर साल हरेली तिहार के दिन राज्य स्तरीय अवकाश

हरेली तिहार 2025 की तारीख

इस बार हरेली तिहार 27 जुलाई 2025 को रविवार

निष्कर्ष

हरेली तिहार छत्तीसगढ़ की मिट्टी, परंपरा और जीवनशैली का जीवंत उदाहरण है। यह त्योहार हमें प्रकृति से जुड़ने, अपनी जड़ों को पहचानने और पर्यावरण की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। यदि आप छत्तीसगढ़ से हैं, तो इस बार 27 जुलाई को हरेली को पूरे परिवार और गांव के साथ मिलकर जरूर मनाएं।

हरेली न केवल एक पर्व है, बल्कि एक सोच है – हरियाली की, समृद्धि की और सामूहिक एकता की।


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